अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से कई लोग संतुष्ट नहीं है। महात्मा गांधी के पड़पोते तुषार गांधी ने भी फैसले पर अपना असंतोष जाहिर किया है। उन्होंने ट्वीट करके सुप्रीम कोर्ट पर जमकर तंज कसा है। हालांकि, उनकी टिप्पणी सोशल मीडिया यूजर्स के निशाने पर आ गई और लोगों ने उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया। तुषार गांधी ने सुप्रीम कोर्ट पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि सर्वोच्च अदालत आज गोडसे को भी देशभक्त बता सकता है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने दशकों पुराने मुकदमे का निपटारा करते हुए अयोध्या में विवादित जगह को राम मंदिर के हवाले कर दिया। तुषार गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर असंतोष जाहिर करते हुए कहा, “यदि गांधी (महात्मा गांधी) की हत्या के मामले की सुनवाई आज सुप्रीम कोर्ट में की जाती है, तो फैसला होता कि नाथूराम गोडसे हत्यारा है, लेकिन वह देशभक्त भी है।” तुषार गांधी ने अपने इस ट्वीट के जरिए उच्चतम न्यायालय के फैसले के प्रति अपना आक्रोश जाहिर किया है।
If the Gandhi Murder case was retried by the Supreme Court today, the verdict would have been Nathuram Godse is a Murderer but he is also a Desh Bhakt.
— Tushar GANDHI Manavta Meri Jaat. (@TusharG) November 9, 2019
तुषार गांधी के इस ट्वीट के बाद यूजर्स ने उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया। कई लोगों ने तुषार गांधी को उनके सरनेम का हवाला देते हुए ट्रोल किया, तो कइ लोगों ने नाथू राम गोडसे की सराहना करते हुए देशभक्त बताया। यूजर्स ने तुषार गांधी को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ का हवला दिया भी दिया, जिसने 5-0 के सर्वसम्मति से अपना फैसला दिया है।
Come on !! It's a 5-0 verdict. Have some shame !!!
— Mohit Bhagwati (@mohitbhagwati) November 9, 2019
अगर बहुत बड़े आदमी के खानदान में आप पैदा होते हैं और खानदान के नाम ही उसकी पहचान हो … उसकी अपनी कोई खास उपलब्धि नहीं होती ..तो उनका यही हाल होता है .. जो इनकी है ..!! इसलिए जस्ट इग्नोर ..
— sanjay pathak (@SJAYPATHAK) November 9, 2019
हालांकि, कुछ लोग ऐसे भी थे जो तुषार गांधी के ट्वीट के समर्थन में दिखाई दिए। कुछ यूजर्स ने बेहद मजाकिया अंदाज में तुषार गांधी के ट्वीट का समर्थन किया।
https://twitter.com/civilizedenggr/status/1193051478086344704
गौरतलब है कि शनिवार को दुनिया के सबसे पुराने मुकदमों में शुमार अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने 40 दिनों की मैराथन सुनवाई के बाद फैसला दे दिया। कोर्ट ने अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला विराजमान का अधिकार माना। जबकि, बाबरी मस्जिद के बदले मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में दूसरी जगह 5 एकड़ जमीन सरकार से देने को कहा। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने यह फैसला सर्वसम्मति से दिया।
अदालत ने अपने फैसले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) का हवाला देते हुए माना कि बाबरी मस्जिद का निर्माण खाली जगह पर नहीं हुआ था। अदालत ने माना की विवादित जमीन के नीचे गैर-इस्लामिक ढांचे के अवशेष मिले हैं। हालांकि, कोर्ट ने इस दौरान यह भी कहा कि इसका कोई पुख्ता सबूत नहीं है कि मंदिर तोड़कर ही मस्जिद का निर्माण किया गया।