नई दिल्ली
येरूशलम को इज़रायल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रम के फैसले के खिलाफ भारत आगे आया है। डोनाल्ड ट्रंप के फैसले के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक प्रस्ताव लाया गया था। इसके समर्थन में भारत समेत दुनिया के 128 देशों ने मतदान किया। 9 देशों ने प्रस्ताव के विरोध में वोटिंग की, जबकि 35 देश इससे दूर रहे।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा था, “फिलीस्तीन को लेकर भारत की स्वतंत्र स्थिति है। इसका फैसला हमारे हितों और विचारों से ही तय होगा। कोई तीसरा देश ये तय नहीं कर सकता।” भारत के इस रुख को मुस्लिम जगत ने हर तरीके से सराहा है। कई संगठनों ने सरकार के रुख को सराहा है।
येरूशलम का दर्जा इज़रायल-फिलिस्तीन संघर्ष के सबसे अधिक विवादास्पद विषयों में एक है। दरअसल ये शहर फिलिस्तीन की राजधानी रहा है। इस शहर को 6 दिसंबर को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने इज़रायल की राजधानी के रूप में मान्यता देने का फैसला किया था। इस फैसले के बाद पूरी दुनिया में इसका विरोध हो रहा था। इसके साथ ही अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर कई देशों ने भी विरोध जताया था।
मुस्लिम देशों में अमेरिकी फैसले के विरोध में जबर्दस्त प्रदर्शन शुरू हो गया और कई देशों ने संयुक्त राष्ट्र से अपील की थी। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने चेतावनी दी थी कि अमेरिका की इस बात पर कड़ी नज़र होगी कि मतदान में विभिन्न देशों का क्या रूख होता है। उसका समर्थन करने वालों से बदला लिया जा सकता है। अरब और मुस्लिम देशों की ओर से यमन और तुर्की ने संयुक्त राष्ट्र में यह प्रस्ताव रखा था।