नई दिल्ली
गल्फ के अमीर देश अबूधाबी के शहजादे शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान भारत दौरे पर दिल्ली पहुंचे। पीएम नरेंद्र मोदी ने प्रोटोकॉल को तोड़कर हवाई अड्डे पर खुद अगवानी की। उम्मीद है कि इस यात्रा से भारत और यूएई के संबंधों में नई उम्मीद और गति मिलेगी।
शेख नाहयान के तीन दिवसीय दौरे पर दोनों देश ऊर्जा, अर्थव्यवस्था और सुरक्षा सहित कई क्षेत्रों में संबंधों को विस्तार देने के उपायों पर चर्चा करेंगे। तेल, परमाणु ऊर्जा, आईटी, अंतरिक्ष, रेलवे और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है। शेख अल नाहयान के साथ आए प्रतिनिधिमंडल में कई मंत्री और सौ से अधिक कारोबारी व शीर्ष कंपनियों के सीईओ शामिल हैं।
दोनों नेताओं के पालम एयरपोर्ट पर हाथ मिलाने की तस्वीरों को पोस्ट करते हुए पीएमओ ने कहा कि खास दोस्त के लिए खास स्वागत। पीएण नरेंद्र मोदी ने शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान की खुद अगवानी की है। पीएम मोदी ने पिछले साल अगस्त में यूएई का दौरा किया था। यह 34 वर्षों के बाद किसी भारतीय पीएण का दौरा था। शेख नाहयान ने अबू धाबी हवाई अड्डे पर उनकी अगवानी की थी। वहीं पीएम मोदी ने ट्वीट किया कि शेख मोहम्मद का यह पहला आधिकारिक भारत दौरा है और मैं खुश हूं कि वह अपने परिवार के साथ भारत आए हैं।
पीएम मोदी ने कहा है कि शेख मोहम्मद एक दूरदर्शी नेता हैं। उनके दौरे से भारत और यूएई के बीच के समग्र रणनीतिक साझेदारी को नई शक्ति और गति मिलेगी। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि पीएम मोदी यातायात को किसी तरह से बाधित किए बिना शहजादे की अगवानी करने पहुंचे थे और उनके काफिला सीमित था और इसमें कोई एंबुलेंस नहीं थी। शहजादे के भारत पहुंचने के तत्काल बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने उनसे मुलाकात की और परस्पर हितों के कई मुद्दों पर चर्चा की।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने ट्वीट किया कि अरब सागर के उस पार से आए हमारे सम्मानित मेहमान। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने शहजादे शेख मोहम्मद अल नाहयान से मुलाकात की है। तेल के मुख्य उत्पादकों में से एक यूएई की अर्थव्यवस्था कच्चे तेल के दाम कम होने से बहुत प्रभावित हुई है और उम्मीद है कि यह खाड़ी देश अपने 800 अरब डॉलर के सरकारी निवेश कोष में से भारत के ऊर्जा और आधारभूत क्षेत्रों में निवेश करेगा।
रेलवे, बंदरगाह और सड़कों सहित अपने आधारभूत ढांचों के लिए भारत की नजरें अबू धाबी निवेश प्राधिकरण द्वारा प्रबंधन वाले कोष पर हैं। रक्षा उपकरणों का संयुक्त निर्माण एक और मुख्य क्षेत्र है जहां दोनों देश प्रयासरत हैं। इस पहल के तहत, यूएई भारत में इस तरह के उपकरणों के निर्माण के लिए निवेश कर सकता है और उत्पादों की आपूर्ति करवा सकता है। वहीं आईएसआईएस के बढ़ते खतरे को देखते हुए, सूचना साझा करना और आतंकवाद निरोध में वर्तमान सहयोग बढ़ाना एक अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र होगा। यूएई ने आतंकी संगठन से संदिग्ध रूप से संबंध रखने वाले करीब एक दर्जन भारतीयों को निर्वासित किया है।