लखनऊ
यूपी सरकार ने प्रदेश में दूसरी राजभाषा के रूप में उर्दू का इस्तेमाल ज़रूरी कर दिया है। प्रदेस के सरकारी महकमों में अफसरों और कार्यालयों की नेम प्लेट अनिवार्य रूप से उर्दू में लगेगी। सऊ सरकारी आदेश हिंदी के अलावा उर्दू में भी जारी किए जाएंगे। कोई भी अब उर्दू में भी अर्ज़ी दे सकेगा और सरकारी विभाग उसे जवाब भी उर्दू में देंगे।
असल में प्रदेश में उर्दू पहले से दूसरी राजभाषा है लेकिन इसके इस्तेमाल के लिए बनी गाइडलाइन का पालन विभाग और अफसर नहीं कर रहे थे। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने अपने कार्यकाल के दौरान उर्दू को दूसरी राजभाषा का दर्जा दिया था। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिट दायर की गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल इस रिट को खारिज कर यो व्यवस्था दी थी की बनाए गए नियम संवैधानिक हैं।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले बाद प्रमुख सचिव भाषा शैलेष कृष्ण ने सऊ प्रमुख सचिवों, कमिश्नर, विभागाध्यक्षों, निगमों, परिषदों के अध्यक्षों को खत लिखा है। इस खत में कहा गया है कि उर्दू का इस्तेमाल पहले से तय मामलों में अनिवार्य रूप से किया जाए। इस खत में ये भी कहा गया है कि इस संबंध में ढिलाई बरदास्त नहीं की जाएगी।
कहां होगा फायदा:
उर्दू में लिखित दस्ताबेज़ रजिस्ट्री कार्यालयों में मान्य
अर्ज़ियों और आवेदन पत्रों की प्राप्ति और उसका उर्दू में उत्तर देना अनिवार्य
ज़रूरी संकेत पट्टों का उर्दू में भी प्रकाशन
अहम सरकारी विज्ञापनों का उर्दू में भी प्रकाशन
सार्वजनिक महत्व के सरकारी आदेश व सर्कुलन का उर्दू में भी होंगी जारी
सरकारी नियम और अधिसूचनाएं उर्दू में भी जारी होंगे।