नई दिल्ली
दिल्ली से सटे दादरी के गांव बिसाड़ा में हुई हत्या समेत देश भर में अल्पसंख्यकों और दलितों पर हो रहे हमलों के खिलाफ जंतर मंतर पर ज़ोरदार प्रदर्शन किया गया। ये प्रदर्शन कई मुस्लिम और सिविल संगठनों ने मिलकर किया। प्रदर्शन में मौजूद लोगों ने एकजुट होकर फांसीवादी ताकतों के खिलाफ मरते-मरते भी लड़ाई जारी रखने का एलान किया। लोगों का कहना था कि वह किसी भी कीमत पर मुल्क को बंटने नहीं देंगे। गौरतलब है कि पिछले दिनों दादरी के बिसाड़ा गांव में एखलाक सैफी के घर में पहले गोमांस होने की अफवाह फैलाई गई, जिसके बाद हिंदू कट्टरपंथियों की भीड़ ने एखलाक को पीट-पीट कर मार दिया और उनके बेटे दानिश सैफी को बुरी तरह से घायल कर दिया था।
जंतर-मंतर पर मौजूद प्रदर्शनकारियों के हाथों में तख्तियां थीं। इन पर पीएम नरेंद्र मोदी से चुप्पी तोड़ने की बात लिखी हुई थी। कुछ तख्तियों में ‘बाबरी से दादरी तक न्याय’ की गुहार की मांग लिखी थी। इस प्रदर्शन में न सिर्फ मुस्लिम संगठन बल्कि सिख, दलित और ईसाई संगठनों के लोग भारी संख्या में शामिल हुए।
प्रदर्शन में मौजूद मशहूर सीनियर वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि यह सांप्रदायिकता का दौर है। इस मुल्क में पहली दफा केंद्र में आरएसएस की सरकार बनी है। इससे पहले अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनी थी पर वह आरएसएस की सरकार नहीं थी। प्रशांत भूषण ने कहा कि ऐसा सिर्फ दादरी में ही नहीं हुआ है, देश के कई और हिस्सों में भी ये हो रहा है। शिक्षण संस्थानों का भगवाकरण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पिंक क्रान्ति तो खुद पीएम मोदी ने ही शुरू किया है।
प्रशांत भूषण ने आगे कहा कि हर मुद्दे पर बोलने वाले पीएम मोदी इन मुद्दों पर चुप हैं, क्योंकि वह अपने आपको अंतरराष्ट्रीय मुद्दों के विचारक के तौर पर पेश कर रहे हैं। भड़काऊ भाषण देने के लिए पीएम ने अपने करीबियों को पूरी छूट दे रखी है। पीएम उन्हें संरक्षण दे रहे हैं। ऐसे हालात में अल्पसंख्यक सहमे हुए हैं। प्रशांत भूषण ने कहा कि ऐसे तनाव के मौके पर भी मुसलमानों को कोई भी भड़काए तो वह उनके बहकावे में न आएं।
वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि सिर्फ सड़कों पर आने से बात नहीं बनेगी बल्कि इसकी काट तलाशनी है। वो काम करना है जो मुश्किल है लेकिन ज़रूरी है। सभी को सब्र रखते हुए ठंडे दिमाग से काम लेना है। ज़िले-ज़िले में अमन कमेटियां बनाईं जाएं, अफवाहों को काटना है, दिल से सोचना है। एक साथ अपने तीज-त्योहार मनाने हैं। सांप्रदायिक इरादों को हर संभव प्रयास से विफल करना है। इस मौके पर प्रशांत भूषण ने इंटरनेशनल पीपल ट्रिब्यूनल बनाने की बात भी रही। उन्होंने कहा कि विचार किया जा रहा है कि इन मसलों को किस प्रकार से अंतरराष्ट्रीय मंच पर रखा जाए। इसके अलावा सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की सलाह भी दी।
जमात-ए-इस्लामी हिंद के नेता इं मोहम्मद सलीम ने दादरी और मुज़फ्फरनगर जैसे दंगों को मुल्क पर हमला बताया। उन्होंने कहा कि मुसलमानों और देश के कमज़ोर तबकों पर हमले बंद होने चाहिए। इतिहास गवाह है कि जब भी देश को ज़रूरत हुई है मुसलमान कुर्बानी देने से पीछे नहीं हटे। दलित, आदिवासी और मुसलमानों को मिलकर सोचना होगा।
ऑल इंडिया मुस्लिम पॉलिटिक्ल काउंसिल के अध्यक्ष डॉ तसलीम अहमद रहमानी ने कहा कि दादरी में एखलाक सैफी की मौत कोई हादसा नहीं है। उन्होंने कहा कि गाय तो एक बहाना है, असल मसला तो देश को हिंदू राष्ट्र बनाने का सपना है। उन्होंने कहा कि गाय अगर मसला होती तो पहले गोमांस से जुड़े कारोबारियों को मारा जाता। उन्होंने कहा देश में बेशक सरकार हिंदुओं की है, लेकिन मुल्क में हिंदुस्तानियों की सरकार की जरूरत है। 70 फीसदी वोटर अभी भी इनकी ज़हनियत के खिलाफ हैं। यह 30 फीसदी वालों की सरकार है।
मुस्लिम संगठनों ने यूपी में समाजवादी सरकार को भी आड़े हाथों लिया। संगठनों से जुड़े लोगों ने कहा कि प्रदेश में अखिलेश सरकार आरएसएस की मदद कर रही है। इन संगठनों का कहना है कि इन्हें न्याय नहीं मिला तो ये अंतरराष्ट्रीय मंच पर जाने के लिए तैयार हैं।
ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल के सदर ने कहा कि जिन लोगों ने मुल्क के लिए अपना खून ही नहीं बहाया वे लोग आज सरकार चला रहे हैं। मुल्क खतरे में पड़ा तो हम भी खतरे में आ जाएंगे। यह एखलाक की शहादत का मसला नहीं बल्कि दस्तूर की शहादत का मसला है। हमें हर सूरत में आरएसएस के मंसूबों को विफल करना है। धर्मनिरपेक्षता की लड़ाई लड़ने का जज्बा कायम रखना है। न तो गुस्सा होना है न आक्रोशित होना है क्योंकि हमारे गुस्से से इनके चूल्हे जलते हैं।
जमीअत-ए-उलेमा हिंद के सदर ने कहा कि जमात अपनी जगह है और तंजीम अपनी जगह है लेकिन ऐसे मसलों पर हम सब एक हैं। इंशा अल्लाह चाहे जो भी हो मुल्क नहीं बंटने देंगे। मुस्लिम मुद्दों पर काम कर रहे सिराज तालिब ने कहा कि हम फांसीवादियों के साथ नहीं हैं। हम मुल्क के साथ हैं। एखलाक ही हत्या किसी मुस्लिम की हत्या नहीं है बल्कि लोकतंत्र ही हत्या है।
प्रदर्शन में प्रदर्शन में ऑल इंडिया मजलिस मुशावारात, जमात-ए-इस्लामी हिंद, ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल, लोक राज संगठन, इंडियन नेशनल लीग, सोशलिस्ट पार्टी और नागरिक अधिकार संगठन पीयूडीआर समेत कई नागरिक अधिकार संगठनों ने हिस्सा लिया। इस मौके पर भारी संख्या में लोग मौजूद थे।