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16 May 2025, Fri

इजरायल के खिलाफ प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहा भारत

नई दिल्ली
फिलिस्तीन और इजरायल के मसले पर भारत की नीति में बदलाव के संकेत मिले हैं। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की बैठक में इजरायल के खिलाफ लाए गए एक प्रस्ताव पर मतदान में भारत ने भाग नहीं लिया। 41 देशों ने प्रस्ताव का समर्थन किया जबकि अमेरिका ने इसके विरुद्ध मतदान किया। भारत सहित पांच देशों ने वोटिंग में भाग नहीं लिया। इस प्रस्ताव में मानवाधिकार परिषद की उस रिपोर्ट को मंजूर किया गया जिसमें पिछले साल गाजा में संघर्ष के दौरान युद्ध अपराधों के सबूत मिलने की बात कही गई थी। इसमें इजरायली अधिकारियों की जवाबदेही तय करने और अंतरराष्ट्रीय कोर्ट की दखल की बात थी। हालांकि विदेश मंत्रालय ने इससे इनकार किया कि फिलिस्तीन को लेकर नीति में कोई बदलाव हुआ है। पिछले साल 50 दिनों के गाजा संघर्ष में फिलिस्तीन के 1462 नागरिकों और इजरायल की ओर छह नागरिकों की मौत हुई थी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि फिलिस्तीन को हमारे समर्थन की लंबे समय से चली रही नीति नहीं बदली है। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का उल्लेख था। भारत इस कोर्ट की स्थापना से संबंधित रोम संधि पर दस्तखत करने वाले देशों में नहीं है। हमने पहले भी परिषद के ऐसे प्रस्तावों से दूरी बनाकर रखी है जिनमें अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का सीधा जिक्र है।
इजरायल में अफसरों ने भारत के मतदान से दूर रहने पर कहा कि ये उसके रुख में आया अहम बदलाव है। उनका कहना है कि इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की थी और उनसे मतदान में भाग लेने का आग्रह किया था। मोदी अगले साल इजरायल की यात्रा पर जाने वाले हैं।
देश में माकपा और जनता दल यूनाइटेड ने विदेश नीति में बदलाव की आलोचना की है। जदयू ने कहा कि इससे अरब देशों से संबंधों पर असर पड़ेगा। वहीं माकपा का कहना है कि भारत अब इजरायल के तुष्टिकरण की नीति पर चल पड़ा है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि फिलिस्तीन को हमारे समर्थन की लंबे समय से चली रही नीति नहीं बदली है। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का उल्लेख था। भारत इस कोर्ट की स्थापना से संबंधित रोम संधि पर दस्तखत करने वाले देशों में नहीं है। हमने पहले भी परिषद के ऐसे प्रस्तावों से दूरी बनाकर रखी है जिनमें अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का सीधा जिक्र है।