डॉ अशफाक अहमद
नई दिल्ली
देश के थलसेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने उत्तर-पूर्वी राज्यों में तेजी से बढ़ रही मौलाना बदरुद्दनीन अजमल की पार्टी AIUDF यानी ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के बारे में चौंकाने वाला बयान दिया है। विपिन रावत ने कहा कि पूर्वोत्तर में AIUDF तेजी से आगे बढ़ रही है। जनसंघ का आज तक का जो सफर रहा है, उसके मुकाबले AIUDF का विकास तेजी से हुआ है।
दरअसल असम में AIUDF का तेज़ी से विस्तार हुआ है। AIUDF मुस्लिमों की आवाज़ बनकर तेज़ी से उभरा है। इसके अध्यक्ष इत्र के बड़े कारोबारी और आलिम-ए-दीन मौलाना बदरुद्दीन अजमल हैं। असम की राजनीति में मौलाना बदरुद्दीन अजमल की हैसियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सिर्फ 12 साल के छोटे से राजनीतिक सफर में इनकी पकड़ इतनी मज़बूत हो चुकी है कि उनकी पार्टी 18 विधायकों और तीन सांसदों के साथ राज्य की तीसरी सबसे बड़ी राजनीतिक ताकत बन चुकी है।
चुनाव में कोई उन्हें मौजूदा किंगमेकर के रूप में देखता है तो काफी लोगों का मानना है कि बदरुद्दीन और बड़ी ताकत बन सकते हैं। कुछ लोगों की नजर में मौलाना राजनीति के मामले में मुस्लिमों के बीच जबरदस्त रूप से लोकप्रियता पा रहे असदुद्दीन ओवैसी से भी बड़े खिलाड़ी माने जाते रहे हैं।
देवबंद से की है पढ़ाई
मौलाना बदरुद्दनीन अजमल की पैदाइश मुंबई में हुई। शुरुआती शिक्षा के बाद वो यूपी के देवबंद में आ गए। यहीं से मौलाना बदरुद्दनीन ने अपनी पढ़ाई पूरी की।
पुरखों का इत्र कारोबार
मौलाना बदरुद्दीन अजमल एक ऐसे परिवार से ताल्लुक रखते हैं जिनके पुरखे दशकों से इत्र के कारोबार में हैं। उनका कारोबार न सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया के कई देशों में फैला है। गल्फ में उनके इत्र का कारोबार एक नंबर पर हैं। कहते हैं कि गल्फ के शाही घराने में उनके इत्र की धूम है। इन वजह से मौलाना अजमल के संबंध गल्फ देशों के कई राजघरानों से भी हैँ।
राजनीति की शुरुआत
मौलाना अजमल ने अचानक ही राजनीति में कदम रखा। पर चंद सालों में ही तेजी से उनकी लोकप्रियता इज़ाफा हुआ। 2005 में पहली बार उन्होंने आल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट यानी AIUDF के नाम से अपनी पार्टी बनाई। अगले साल 2006 के विधान सभा चुनावों में वो अपनी किस्मत आज़माने मैदान में उतरे। उस समय राजनीतिक दलों, विश्लेशकों और लोगों को लगा कि वो ज़्यादा दिन तक राजनीति में नहीं टिक पाएंगे।
पहले चुनाव में ज़ोरदार प्रदर्शन
राजनीतिक पंडित उस समय भौचक्के रह गए जब AIUDF ने विधान सभा के पहले चुनाव में ज़ोरदार प्रदर्शन किया। मौलाना अजमल की पार्टी ने सबको चौंकाते हुए 126 सदस्यीय विधान सभा में से दस सीटें अपने नाम कर ली। दरअसल मौलाना अजमल ने इस बात को अच्छी तरह भांप चुके थे कि 35 फीसदी मुस्लिम आबादी वाले असम में कौम नेतृत्व विहीन है। मौलाना अजमल ने इस बात को समझा और मुसलमानों को गोलबंद किया। इसके लिए उन्होंने राजनीतिक और सामाजिक दोनों रूप से अपनी पहचान बनाई।
मुखर नेतृत्व
मौलाना बदरुद्दीन मुस्लिमों से जुड़े हर मुद्दे पर मुखर होकर उनका पक्ष रखते हैं। यहीं नहीं वो उनके लिए हर तरह की लड़ाई लड़ने को तैयार रहते हैं। उनका यही अंदाज़ राज्य के मुस्लिमों को खासा पसंद आया। बांग्लादेश से आए मुस्लिमों के प्रति उनके सख्त रवैये ने उन्हें गैर मुस्लिमों में भी लोकप्रिय बनाया। वो राज्य के अन्य अल्पसंख्यकों में भी काफी लोकप्रिय हैं।
2014 के लोक सभा चुनाव में बड़ी सफलता
मौलाना अजमल ने 2005 में अपनी पार्टी बनाई थी और उसके अगले साल ही हुए विधानसभा चुनाव में मैदान में उतरे थे। तब मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने सवाल किया था कि यह मौलाना बदरुद्दीन अजमल कौन है। असम की राजनीति में मौलाना अजमल की हैसियत को ध्यान में रखते हुए अब वह यह सवाल करने का साहस नहीं कर सकते। पहली बार मैदान में उतरी अजमल की पार्टी ने वर्ष 2006 में अल्पसंख्यकों के समर्थन से 10 सीटें जीतने के बाद वर्ष 2011 में 18 सीटें जीती थी। उस समय दो बार सत्ता में रही असम गण परिषद से भी ज्यादा सीटें मिली थी। 2014 के लोकसभा चुनावों में राज्य की 14 में से तीन सीटें जीत कर एआईयूडीएफ ने राजनीतिक पंडितों को भी हैरत में डाल दिया था।
कई सामाजिक कामों से जुड़े हैं मौलाना अजमल
मौलाना अजमल ने राज्य में कई मदरसों का निर्माण कराया। उन्होंने यहां चैरेटेबुल अस्पताल बनवाया। बाढ़ में वो खुद बाढ़ पीड़ितों की मदद में आगे रहते हैं। कई राष्ठट्रीय संगठनों के साथ वो बाढ़ पीढ़ित इलाकों का दौरा करते हैं। मौलाना अजमल ने कई बड़े शिक्षण संस्थानों की भी स्थापना की। उनका अजमल फाउंडेशन लगातार गरीबों की मदद करता रहता है। यहीं वजह है कि राज्य की राजनीति में मौलाना अजमल का कद तेज़ी से बढ़ा है। मौलाना अजमल एक सफल कारोबारी व राजनेता के अलावा सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। इसके अलावा जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर भी उनकी अलग पहचान है।
अन्त में…
साधारण कद काठी वाले बदरुद्दीन पहली नजर में किसी मदरसे के मौलाना की तरह लगते हैं लेकिन ये उनकी शख्सियत का असली पहलू नहीं है, उन्होंने राज्य की राजनीति में तेजी से अपनी पहचान और पकड़ बनाई है। मौलाना बदरुद्दीन अजमल असम के धुबरी से वर्तमान से लोक सभा सांसद हैं। वह बहुमुखी शख्सियत के धनी हैं। उन्हें 2015-16 में वर्ल्ड के 500 मोस्ट इंफ्लुएंसियल मुस्लिम में जगह मिली।